Saturday, 25 November 2017

कभी लड़के साथ खेलने नहीं देते थे, आज दुनिया में सबसे ज्यादा विकेट इन्हीं के नाम हैं

--------------
www.thelallantop.com



“बाबुल, तू रहने दे. बॉलिंग मत कर. बैटिंग कर जाके.” 13 साल की बाबुल के लिए ये शब्द ज़िन्दगी बदलने वाले थे. बंगाल की लड़की, अपने आस-पास रहने वाले लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी. कलकत्ता से दूर एक छोटा सा कस्बा नादिया. गेंद फेंकती थी तो छक्के खाती थी. उन लड़कों के लिए स्लो बॉलर थी. एक दिन बॉलिंग करने नहीं दी गयी. उसने ठान लिया कि तेज़ गेंदें फेंकेगी. 7 साल बाद इंडिया के लिए खेल रही थी. उस जगह से निकल के आई थी जहां देश के सबसे अच्छे तेज़ बॉलर्स को ट्रेन किया जाता है. और फिर एक दिन वुमेन क्रिकेट में दुनिया की सबसे तेज़ गेंदबाज़ और अब वुमेन क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली बॉलर बन गई हैं जिसका 25 नवंबर को जन्मदिन है.
झूलन गोस्वामी. बाबुल. 5 फुट 11 इंच की देह. झुकती हुई रन-अप लेती है. लम्बी स्ट्राइड के साथ क्रीज़ पर पहुंचती है. पिच से मूवमेंट और पेस जेनरेट करती है. सीम सधी रखती है. साथ ही एक सरप्राइज़ एलिमेंट. हर कुछ देर में एक्स्ट्रा बाउंस मिलती है. बैट्सवुमैन कभी भी सेटल नहीं हो सकती. 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद निकलती है झूलन के हाथों से.

रिकॉर्ड

साउथ अफ्रीका में चार देशों के बीच सीरीज़ जिसमें इंडिया, आयरलैंड, साउथ अफ़्रीका और ज़िम्बाब्वे की टीमें खेल रही थी, झूलन ने साऊथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 3 विकेट लिए और अपने विकेट्स की लिस्ट को 181 तक पहुंचा दिया. ऐसा झूलन ने कुल 153 मैचों में 21.76 के ऐवरेज के साथ किया. इन 181 विकेट्स के साथ ही झूलन के इंटरनेशनल क्रिकेट में कुल 271 विकेट्स हो गए और वो इंटरनेशनल लेवल अपर सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर बन गईं.

शुरुआत और स्ट्रगल

15 साल की उम्र से सीरियस क्रिकेट खेलना शुरू किया. ये वो मौका था जब उसने क्रिकेट की कोचिंग और प्रैक्टिस शुरू की. कॉस्को बॉल छोड़ सीज़न बॉल से खेलना शुरू किया. स्ट्रगल की हाईलाइट थी 80 किलोमीटर की दूरी. जो उसे हर दिन बिना नागा कवर करनी होती थी. ट्रेन से. उसे अपने घर से कलकत्ता जाना होता था. जहां प्रैक्टिस सेशन चलता था. हर रोज़. दिन शुरू होता था सुबह साढ़े चार बजे. कई बार ट्रेन छूट जाती थी. मगर हार नहीं मानी. अच्छी बात ये थी कि मां-बाप ने हमेशा साथ दिया.

1997 वर्ल्ड कप का असर

1997 वुमेन वर्ल्ड कप फाइनल. मैदान ईडेन गार्डंस. कलकत्ता. झूलन गोस्वामी उस वक़्त क्रिकेट खेलती ही थीं. उन्हें वॉलंटियर करने को कहा गया. बॉल गर्ल के रूप में. सामने ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की टीम खेल रही थी. इतने करीब से बेलिंडा क्लार्क, डेबी हॉकी, कैथरीन फिट्ज़पैट्रिक को देखने का मौका मिला. उनके खेल ने झूलन को बहुत इंस्पायर किया. अभी तक वो बस खेल रही थी. अब कुछ करने का मन था. अपना नाम बनाने का मन था.
2017 वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंची थी टीम-
झूलन गोस्वामी का सपना था कि वो क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बनें, मगर 2017 का ये वर्ल्ड कप झूलन के लिए हमेशा खास रहेगा. कारण ये कि टीम फाइनल तक पहुंची और इंग्लैंड के खिलाफ इस फाइनल मैच में झूलन ने 3/23 का शानदार स्पेल फेंका. इस उपलब्धि के बाद झूलन की एयर इंडिया में भी प्रमोशन हुई. अभी तक झूलन एयर इंडिया में बतौर डिप्टी मैनेजर काम कर रहीं थी.

 सुरंग के छोर पर उजाला

साल 2000. बाबुल से झूलन का सफ़र तय करने के क्रम में ईस्ट ज़ोन से बॉलिंग कर रही थी. 10 ओवर में 13 रन दिए. विकेट लिए 3. ये किसी भी हालत में चमत्कारी फिगर्स से कम नहीं है. बड़ी बात ये कि सामने एयर इंडिया जैसी मजबूत टीम थी. उसके सामने अंजू जैन जैसी बैट्सवुमैन बैटिंग कर रही थी. मैच के ठीक बाद झूलन को ऑफर मिला. एयर इंडिया ज्वाइन करने का. और वहीं से झूलन के कंधे से स्ट्रगलर के सितारे हटकर उनपर परफॉर्मर के सितारे लग गए. 2002 में इंडिया के लिए पहला मैच खेला.

इंग्लैंड के खिलाफ़ पहली टेस्ट सीरीज़ जीती

साल 2006. इंग्लैंड के खिलाफ़ पहली टेस्ट सीरीज़ जीतने में झूलन गोस्वामी हीरो थीं. मैच की दोनों इनिंग्स में 5-5 विकेट लिए. पहले इनिंग्स में 13 ओवर, 4 मेडेन, 33 रन और 5 विकेट. दूसरीं इनिंग्स में 36.2 ओवर, 21 मेडेन, 45 रन और 5 विकेट. मैच में कुल 10 विकेट. इंग्लैंड की ज़मीन पर इंग्लैंड के ही खिलाफ़. ये काफी था झूलन को देश की सबसे बेहतरीन गेंदबाज के रूप में स्थापित करने के लिए.

धोनी से मिला अवार्ड

आईसीसी वुमेन्स क्रिकेटर ऑफ़ द इयर. झूलन गोस्वामी को ये अवार्ड दिया गया. टेस्ट मैचों और वन-डे, दोनों में ही 22 से नीचे का ऐवरेज. इकॉनमी रेट भी और बॉलर्स से बेहद कम. झूलन को ये अवार्ड मिला एमएस धोनी के हाथों. साल 2007. झूलन इसे ‘Icing on the cake’ बताती हैं. साल 2010 में अर्जुन अवॉर्ड और 2012 में पदमश्री से सम्मानित हो चुकी हैं.

No comments:

Post a Comment