Monday 5 June 2017

बेहतर इंसान बनने के लिए बेहतरीन लोगों के बारे में खूब पढ़ें: राजीव रंजन प्रसाद

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हम सपने देखने वाले जीव हैं। चाहे लड़का हों या लड़की। स्त्री हों या पुरुष। बच्चे हों या बड़े। हममें से सब 'कुछ विशेष' हो जाना चाहते हैं। नामचीन। शोहरतदार। मिस यूनिवर्स। सबके आँखों का तारा। राजदुलारा।....पर ऐसा होने के लिए चाहिए पूरा आत्मविश्वास। आत्मबल। चुनौतियों से सीधे टकराने का जज़्बा। समस्याओं से लम्बे समय तक जूझने की शक्ति। 

विचारक बनने के लिए विचार की संगत तो करनी ही पड़ेगी। संगीतराश जैसे वाद्ययंत्रों से अपना अपनापा गाँठ लेता है और अपना सुध-बुध मानो खो बैठता है। हम सबको जिनकी निगाह मंजिल के मार्ग पर है, उन्हें सुस्ताने से बचना चाहिए। आलस से कुछ नहीं होता-हवाता। कमाने के लिए मगजमारी करनी पड़ती हैं। कई बार बिना रुचि की चीजों में घंटों सर खपाना पड़ता है। ऐसे कड़े अभ्यास, जुनून और पागलपंथी से हमें वह अंततः हासिल हो जाता है जिसकी हमारी चाहत होती है। 

हमें अपने ख़्वाबों को पंख ही नहीं दृष्टिकोण भी देने चाहिए; ताकि ऊँची उड़ान सही दिशा में भरी जा सके। कठिनाई आएंगी। असफलता को गले लगाने पड़ेंगें। अपनों द्वारा कही गई ख़राब बातों को सिराहने रखना पड़ेगा। लेकिन हार नहीं माननी होगी। देखिएगा, जीत आपका कदम चूम लेगी। 

यहाँ कुछ ऐसी ही बेहतरीन मिसालें दी जा रही हैं। इनके बारे में जानकारी जुटाएँ। इनके अथक मेहनत, अभ्यास और मिली असफलताओं को ध्यान से देखिए। आज इनके जो चमकते चेहरे हैं उसके पीछे सैकड़ों दुश्विारियाँ हैं तो हजारों बाधाएँ। इन्होंने सबको धीरे-धीरे ‘साॅल्व’ किया है।

आपसब इसे इस बार छुट्टी में पढ़िए,....फिर मिलेंगे नए सत्र की शुरुआत के साथ....!!!

आपका 
राजीव सर!
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संयुक्ता पराशर, असम में आईपीएस अफसर

मनाबी बंदोपाध्याय, देश की पहली ट्रांसजेंडर प्रींसिपल










मरियम आसिफ सिद्दकी, भगवद् गीता कांटेस्ट चैम्पियन

(साभार: संडे नई दुनिया, हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स)