Wednesday 6 July 2016

व्यावहारिक यानी फंक्शनल हिंदी में करियर


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हिंदी भाषा सहज ढंग से जुबान चढ़ जाती है। बोलने में आसान मालूम पड़ती है। इस भाषा में कथा-कहानी रचना-बुनना सहज लगता है या कि सहजभाव से एक लड़ी में पिरोकर उसे कविता का नाम दे देना सामान्य-सी बात हो जाती है। जबकि ऐसा है बिल्कुल नहीं। तब भी जब हम इस भाषा को अपनी आजीविका का साधन बना लेने की ठान लेते हैं, तो यह कठिनाई वाली बात हो जाती है। हिंदी सीखने को लेकर हमारी मनोदशा और व्यवहार संयत, कुशल और श्रमसाध्य नहीं मालूम देते हैं। आखिर क्यों आप नहीं चाहते कि आप हिंदी को ज्ञान-विज्ञान की भाषा बनाएँ; इसे अपनी रोजी-रोटी के प्रश्न से जोड़ें; इसे कुछ इस तरह साधें कि आपको देखते ही अन्य भाषा में सोचने वाले चकित हो उठे। हम अपनी भाषा में बहुत ऊपर उठ सकते हैं; अपनी सोची हुई सफलता पा सकते हैं...लेकिन इसके लिए हमें भाषा सीखने के मोर्चे पर अपने को पूरी तरह झोंक देना होगा। आइए! आपका स्वागत है-‘प्रयोजनमूलक हिंदी यानी फंक्शनल हिंदी’ परास्नातक डिप्लोमा पाठ्यक्रम में। राजीव गाँधी विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग आपको निराश न करने का वादा करता है; यदि आपमें जानने की जिज्ञासा, करने की इच्छाशक्ति और सही लक्ष्य पा लेने का जोश साथ हो, ...तो फिर प्रतीक्षा किस बात की!

राजीव रंजन प्रसाद, 
सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, 
राजीव गाँधी विश्वविद्यालय, 
रोनो हिल्स, दोइमुख, 
अरुणाचल प्रदेश-791112
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हिंदी हमारी राष्टभाषा है, बावजूद इस विविधतापूर्ण देश में अनेक भाषाएं और बोलियां प्रचलित हैं, वहीं दूसरी ओर हिंदी बोलने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अरुणाचल प्रदेश अवस्थित राजीव गांधी विश्वविद्याालय में फंक्शनल हिंदी के सहायक प्राध्यापक राजीव रंजन प्रसाद की राय में-‘‘भारत के सांविधानिक नक्शे में हिंदी भाषा राजभाषा के रूप में मान्य है। यह राष्ट्रभाषा है और सम्पर्क भाषा भी। राजभाषा यानी अंग्रेजी के सहप्रयोग के साथ राजकीय विधान, कार्यालयी काम-काज, अकादमिक लिखा-पढ़ी, ज्ञान-विज्ञान, अन्तरानुशासनिक-अन्तर्सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार इत्यादि में सांविधानिक रूप से मान्यता प्राप्त एक वैध भाषा। वह भाषा जिसके बारे में भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343 से अनुच्छेद 351 के अन्तर्गत काफी कुछ लिखित एवं वर्णित है। यही नहीं अनुच्छेद 120 में संसद में भाषा-प्रयोग के बारे में हिंदी की स्थिति स्पष्ट है, तो अनुच्छेद 210 में विधान-सभा एवं विधान-परिषद में हिंदी के प्रयोग को लेकर ठोस दिशा-निर्देश उल्लिखित है। वहीं सम्पर्क-भाषा कहने का अर्थ-आशय रोजमर्रा के प्रयोग-प्रचलन की भाषा; कुशलक्षेम, हालचाल की भाषा, आमआदमी के बोली-बर्ताव की भाषा। यह हमारी आय और आमदनी की भाषा भी है जिसे पारिभाषिक शब्दावली में इन दिनों प्रयोजनमूलक हिंदी कहा जा रहा है। अनुप्रयुक्ति की दृष्टि से यह नवाधुनिक क्षेत्र है जिनका महत्त्व एवं प्रासंगिकता हाल के दिनों में तेजी से बढ़े हैं।'' दरअसल, सूचना-प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटरीकरण और मीडिया के बढ़ते प्रभावों के कारण ही आज फंक्शनल हिंदी के क्षेत्र में रोजगार के नए-नए द्वार खुल रहे हैं। आज इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की डिमांड है, उतनी मात्रा में उनकी भरपाई नहीं हो पा रही है।

क्या है फंक्शनल हिंदी ?

फंक्शनल हिंदी का अर्थ 'language for specific purpose' है। फंक्शनल हिंदी, हिंदी का वह रूप है, जिसे किसी प्रयोजन विशेष या उद्देश्य से जोड़ कर देखा जाता है। यानी दैनिक जीवन या रोजमर्रा की लाइफ से जुड़े किसी भी क्षेत्र में हिंदी के जिस रूप का इस्तेमाल हम करते हैं, वही फंक्शनल हिंदी है।

कितना उपयोगी है यह विषय

हिंदी को प्रॅमोट करने के लिए कई तरह के प्रयास, कार्यक्रम और हिंदी दिवस सरीखे आयोजन होते रहते हैं। ऐसे में फंक्शनल हिंदी अपनी उपयोगिता के कारण खुद-ब-खुद प्रॅमोट हो रही है। जहां एक ओर, हम हिंदी को पूरी तरह स्थापित कर पाने में असमर्थ हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आज फंक्शनल हिंदी में छुपी संभावनाओं के कारण न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी छात्र इस भाषा को अपना रहे हैं। फंक्शनल हिंदी फ्रेंच, जर्मन, जैपनीज भाषा की तरह ही फॉरेन लैंग्वेज के रूप में भी धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है।

करियर की संभावनाएं

करियर की बात करें, तो आज जो क्षेत्र ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं, वे हैं-मीडिया (न्यूजपेपर, मैग्जीन, रेडियो, टीवी), एडवरटाइजिंग, दुभाषिया, हिंदी अनुवादक आदि। इनके अलावा, केंद्र सरकार और राज्य सरकार अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में हिंदी ट्रांसलेटर्स, असिस्टेंट्स, मैनेजर (ऑफिशियल लैंग्वेज) आदि के वैकेंसीज भी समय-समय पर निकलते रहते हैं। यानी आप सरकारी क्षेत्र को सुरक्षित मानते हुए वहां जाना चाहें अथवा यदि प्राइवेट क्षेत्र को बेहतर मानें, तो ऐसी स्थिति में फंक्शनल हिंदी आपको दोनों तरह के क्षेत्रों में जाने का अवसर प्रदान करती है।

भारत में फंक्शनल हिंदी की पढ़ाई

फंक्शनल हिंदी की पढ़ाई देश केलगभग सभी प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में हो रही है। जैसे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, लखनऊ, कानपुर आदि। इसके अलावा, केंद्रीय हिंदी संस्थान, इग्नू आदि में भी फंक्शनल हिंदी के कोर्सेज उपलब्ध हैं।
इस विषय में फुल-टाइम बेसिस और शॉर्ट-टर्म बेसिस, दोनों स्तर की पढ़ाई कर सकते हैं। कुछ संस्थान में आप इसे वैकल्पिक विषय के रूप में भी, तो कुछ ऐसे संस्थान भी हैं, जहां इसे आप मुख्य विषय के रूप में पढ़ सकते हैं। मसलन, दिल्ली विश्वविद्यालय में इस विषय में बीए स्तर की पढ़ाई होती है, तो एमए में इसे वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। इसी तरह, जेएनयू और केंद्रीय हिंदी संस्थान से आप इसमें एडवांस्ड-लेवल यानी एमफिल या पीएचडी स्तर की पढ़ाई भी कर सकते हैं। वहीं, इग्नू, जामिया मिलिया, भारतीय विद्या भवन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन आदि से आप किसी खास क्षेत्र में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं।

कौन कर सकता है यह कोर्स

जिन्होंने दसवीं और बारहवीं तक हिंदी पढ़ी है और जो व्याकरण का अच्छा ज्ञान रखते हैं, वे यह कोर्स कर सकते हैं। वैसे, जहां तक करियर की बात है, तो यह बेहद जरूरी है कि आपकी अंग्रेजी भी अच्छी हो। आप भी बन सकते हैं.. हिंदी अनुवादक, सीनियर-जूनियर हिंदी टाइपिस्ट, स्टेनो, हिंदी सहायक, दुभाषिया, विज्ञापन लेखक, स्लोगन लेखक, पू्रफ रीडर्स, रेडियो जॉकी, एंकर्स, कॉरेस्पॉन्डेंस, एडिटर्स, अभिवादन कार्ड निर्माता, रूपांतरण लेखक, हिंदी खेल कमेंटेटर आदि।

एकेडमिक कोर्सेज

फुलटाइम डिग्री और एडवांस एकेडमिक कोर्सेज: एमए इन हिन्दी, जर्नलिज्म, मास-कम्युनिकेशन और एमफिल, पीएचडी।
पीजी डिप्लोमा कोर्सेज : मास-कम्युनिकेशन, जर्नलिज्म, ट्रांसलेशन, क्रिएटिव राइटिंग आदि। शार्ट-टर्म केकोर्सेज : सर्टिफिकेट कोर्सेज मसलन, क्रिएटिव राइटिंग, ट्रांसलेशन, मीडिया कोर्सेज आदि।

यहां हैं संभावनाएं

सरकारी क्षेत्र में
अकादमिक क्षेत्र में
- मीडिया-प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक
सर्जनात्मक लेखन/विज्ञापन के क्षेत्र में
भारतीय दूतावास में
खेलकूद के क्षेत्र में

प्रमुख संस्थान
  1. राजीव गांधी विश्वविद्याालय     www.rgu.ac.in
  2. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय   www.bhu.ac.in 
  3. दिल्ली विश्वविद्यालय             www.du.ac.in
  4. लखनऊ विश्वविद्यालय           www.lkouniu.ac.in
  5.  कानपुर विश्वविद्यालय          www.kanpuruniversity.org
  6.  इंदौर विश्वविद्यालय              www.dauniv.ac.in
  7. भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली www.bvbdelhi.org
  8. इंडिया गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नई दिल्ली  www.ignou.ac.in
  9. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, जेएनयू कैंपस, नई दिल्ली  www.iimc.nic.in
  10. जामिया मिलिया इस्लामिया, जामिया नगर, नई दिल्ली www.jmi.nic.in

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सहयोग साभार सहित: http://www.career7india.com/

Tuesday 5 July 2016

संगति का फल


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रामनाथ था प्यारा लड़का
घर में बड़ा दुलारा लड़का
रोज बाग को जाता था वह
अपना मन बहलाता था वह

था गुलाब का पेड़ कहीं पर
फूल खिले थे उस पर सुन्दर
एक दिन उसके पास वह जाकर
सूंघा धेला एक उठाकर

महक रहा था ढेला ऐसा
ताजा फूल महकता जैसा
उसको हुआ अचंभा भारी
घर को छोड़ भागा फुलवारी

बाबा से जब पूछा जाकर
कहा उन्होंने तब समझाकर
तुमने इसे जहाँ पर पाया
होगी वहाँ पेड़ की छाया

फूल वहाँ पर झड़ते होंगे
इसके ऊपर पड़ते होंगे
पाई जो सुवास निर्मल है
यह अच्छा संगति का फल है।

=> यह कविता रेल में यात्रा के दौरान मुझे एक बुजुर्ग यात्री से सुनने को मिली। उन्होंने इसे 1954 ई. के आस-पास पढ़ा था अपनी स्मृति के इस अद्भुत कोलाज को प्रसंगवश हमारे लिए स्मरण किया, तो मैंने इसे तुरंत लिख लिया। यह प्यारी कविता आप तक प्रेषित है-राजीव रंजन प्रसाद