प्रधानमंत्री सुनते हैं। कान के तेज हैं। उनके प्रबंधक उनको देश में कब, कहाँ, किसने, उनके बारे में क्या कहा बतला देते हैं। लेकिन उन्हें कुछ अच्छी बातें भी सुननी चाहिए। खासकर उन बातों को जिन्हें सुनने को पुरानी सरकार आदी नहीं थी। नई सरकार को ‘सेल्फ पब्लिसिटी’ से बाहर आते हुए ‘प्रैक्टिकल’ मुद्दों एवं ‘जैनुइन’ समस्याओं पर व्यावहारिक संवाद कायम करने की आवश्यकता है।
अच्छा जानिए क्या कहा केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने-
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केवल पुस्तकें या शोध-पत्र प्रकाशित करना प्र्याप्त नहीं है बल्कि सरकारी अनुसन्धान संस्थानों को ऐसे कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिए जिससे सामान्य लोगों को फायदा पहुँचे, वरना ऐसी संस्थाओं को बने रहने का कोई मतलब नहीं रहेगा। हमें ऐसी सोच से ऊपर उठना होगा जो मतभेद, बहस और केवल चर्चा तक सीमित रह जाती हो। - नितिन गडकरी, केन्द्रीय मंत्री
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