Thursday, 16 March 2017

माध्यम-लेखन की तैयारी से पूर्व माध्यम के बारे में जानें

राजीव गाँधी विश्वविद्यालय के प्रयोजनमूलक हिंदी के विद्यार्थियों के लिए प्रस्तुत जरूरी सामग्री
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राजीव रंजन प्रसाद

जनमाध्यम : 

- श्रव्य माध्यम: सभा, सम्मेलन, संगोष्ठी, समितियाँ, भेंटवार्ता, साक्षात्कार, व्यक्तिगत परामर्श, मुलाकात, बातचीत, टेलीफोन, टेप, रेडियो इत्यादि।
- दृश्य अथवा मुद्रित माध्यम : देखकर या पढ़कर सूचना प्राप्त करना दृश्य या मुद्रित माध्यम कहे जाते हैं। जैसे-परिपत्र, आदेश, पुस्तक, प्रतिवेदन, चित्र, फोटो, झंडे, स्लाइड, पोस्टर, होर्डिंग्स, मूर्ति, प्रतीक, चिह्न, शारीरिक इशारे, समाचार-पत्र पत्रिकाएँ इत्यादि।
- दृश्य-श्रव्य माध्यम : जिन माध्यमों में एकसाथ देखने और सुनने दोनों की क्रिया होती है, उसे दृश्य-श्रव्य माध्यम कहते हैं। जैसे: टेलीविज़न, वीडियो, फ़िल्में, नाटक तथा व्यक्तिगत या सामूहिक अभिनय इसी श्रेणी में आते हैं। 

माध्यम आधारित विभिन्न संस्थान : 
1) दूरदर्शन : 1959 ई. में पहले दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना के साथ ही इस माध्यम का आरंभ हुआ था। आज अपने सैकड़ों प्रसारण केन्द्रों, अनेक चैनलों, डिजिटल प्रसारणों आदि के माध्यम से यह एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। राष्ट्रीय एकता, वैज्ञानिक एवं तकनीकी परिप्रेक्ष्य, परिवार कल्याण, कृषि, खेल, कला, संस्कृति, इतिहास और साहित्य आदि क्षेत्रों में इसके प्रसारण अपनी व्यापकता लिए हुए हैं। साथ ही दूरदर्शन समाचारों के माध्यम से देश-दुनिया की ख़बर निरन्तर समाज में सम्प्रेषित होती रहती है।
2) रेडियो : भारत की विशाल जनसंख्या के लगभग सभी हिस्सों को छू लेने की क्षमता इस माध्यम में है। यह इतना सहज और सस्ता माध्यम है कि हर एक व्यक्ति इसे सहज ही प्रयोग में ला सकता है। इसमें दूरदर्शन की तरह सभी विषयों के कार्यक्रम होते हैं। आकाशवाणी का ‘विविध भारती’ कार्यक्रम जनमानस में अपनी पैठ बनाए हुए है।
3) फिल्में : केन्द्र सरकार ने इस विभाग की स्थापना वर्ष 1948 ई. में की थी। इस विभाग का उद्देश्य फिल्मों के माध्यम से सरकारी रीति-नीति का प्रचार करना है। यह अपने वृत्त चित्रों एवं समाचार-चित्रों के माध्यम से अपनी प्रस्तुतियाँ देता है। विभिन्न समारोहों, उत्सवों, आयोजनों एवं सांस्कृतिक महत्त्व के लिए यह समय-समय पर निर्माण कर जन-सामान्य को जागरूकता, मनोरंजन एवं सूचना प्रदान करता है।
4) पत्र-सूचना विभाग : यह कार्यालय सरकारी नीतियों एवं गतिविधियों की जानकारी जनता को देता है। यह सरकार एवं संचार माध्यमों के बीच तालमेल बिठाने का कार्य भी करता है। समाचार एजेन्सियों, देशी-विदेशी पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन, आकाशवाणी आदि को भी यह आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करवाता है। जनता की राय एवं प्रतिक्रिया से भी यह सरकार को अवगत कराता है। 
5) प्रकाशन विभाग : यह विभाग देश-विदेश के लोगों को भारत एवं उसके सन्दर्भों की सटीक एवं सही जानकारी देने के लिए महत्त्वपूर्ण मुद्दों एवं विषयों पर विभिन्न भाषाओं में पुस्तकें, फोल्डर, पेम्फलेट तथा पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित करता है। जैसे-बाल साहित्य, रोजगार, ग्रामीण विकास, साहित्य-संस्कृति, महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों, सरकारी भाषणों, उपयोगी लेखों आदि के संग्रह भी यह विभाग प्रकाशित करता है।
6) क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय : यह निदेशालय (कपतमबजवतंजम) ग्रामीण क्षेत्रों से सीधे तौर पर जुड़कर उन्हें उपयोगी सुझाव एवं सूचना देता है। साथ ही उनकी प्रतिक्रियाओं एवं समस्याओं से सरकार को अवगत कराता है। इससे लोगों में जुड़ाव के साथ जन-सहयोग की भावना भी विकसित होती है।
7) विज्ञापन और दृश्य-प्रचार निदेशालय : यह प्रभाग समाचार-पत्रों से सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से प्रचार कार्य करता है, साथ ही सिनेमा-भित्ति चित्रों, स्लाइडों, होर्डिंग्स प्रदर्शनियों आदि के द्वारा सरकारी नीतियों तथा उपलब्धियों का प्रचार करता है। सभी सरकारी निकायों द्वारा जारी होने वाले विज्ञापन वहीं से ही जारी होते हैं।

साभार: डाॅ. राजीव सेठी की पुस्तक ‘अंतर्वैयक्तिक क्षमता एवं सम्प्रेषण क्षमता’

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