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जागरूक मन में ढेरों बातें चलती हैं। यह आन्तरक गतिविधि ही मनुष्य को चेतस-प्राणी सिद्ध करता है। इसे कैसे कहें और किससे कहें का प्रश्न अवश्य है; किन्तु यक्ष प्रश्न हरग़िज नहीं। हमें अपनी बात को अपने प्रिय समाचार-पत्र के सम्पादक से साझा करनी चाहिए। महत्त्व की और जरूरी बात होने पर वे प्रकाशित करेंगे, तो आपको भी सुखद आश्चर्य होगा। प्रयोजनमूलक हिंदी के विद्याार्थियों के लिए यह विधा बेहद काम की है।
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दैनिक पूर्वोदय; 21 नवम्बर, 2016 |
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