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‘‘वाग्मिता भाषा का गुण है; लेकिन उसका लोभ संवरण करने में भाषा की बौद्धिक दृढ़ता का पता चलता है। वाग्मिता के साथ ही विवादात्मकता भी कोई कम बड़ा प्रलोभन नहीं। इससे गर्मी तो आती है लेकिन कटुता अधिक पैदा होती है। और सामूहिक समझ बनने के रास्ते में यह बड़ी बाधा है। - प्रो. अपूर्वानंद
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