Tuesday, 10 September 2019

प्रयोजनमूलक हिंदी के विद्यार्थियों के नाम सम्बोधन

प्रिय विद्यार्थियों,

नए सत्र की हार्दिक शुभकामना!

प्रयोजनमूलक हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम का उद्देश्य राजाभाषा का जानकार, कार्यालयी पत्राचार में कुशल, कामकाजी भाषा के हिंदी रूप में दक्ष तथा अच्छे मीडिया प्रोफेशनल तैयार करना है।

सिर्फ मीडिया के क्षेत्र में प्रयोजनमूलक हिंदी की भूमिका को देखें, तो आपके लिखे में दम हो। बोले में प्रभाव हो। लिखित शब्दावली और व्यक्त विचार में भाषा सम्बन्धी त्रुटियाँ अधिक न हो। आपकी आवाज़ और उस पर अपना नियंत्रण भरपूर हो। बेवज़ह हँसना अथवा अनर्गल संवाद न हो। साक्षात्कार यानी इंटरव्यू लेते समय ध्यान रखें कि जिससे इंटरव्यू कर रहे हैं उसके बारे में सामान्य जानकारी है। कवि को कहानीकार नहीं बता सकते हैं। तबलावादक को सितारवादक नहीं कह सकते हैं।

इसी तरह समाचार लिखने का ढंग रेडियो समाचार वाचन के तरीके से भिन्न होगा। टेलीविज़न के कार्यक्रम में नाटकीयता अधिक होगी जबकि रेडियो जॉकी के बोल और उच्चारण में पर्जेंस अॉफ माइंड तथा सेंस अॉफ ह्युमर अधिक।

मीडिया प्रोफेशनल को चूक करने की छूट नहीं मिलती है। वह तथ्यों, सूचनाओं एवं घटनाओं से छेड़छाड़ नहीं कर सकता है। वह पब्लिक प्लेटफ़ॉर्म पर है। शब्द-चयन में सावधानी आवश्यक है। क्रॉस-चेक/फैक्ट-चेक करना जरूरी है। गंभीरता के साथ स्वभाव में सख्ती और लहजे में कड़ाई भी होना चाहिए। ख़बर भीतर से निकालने का गुण होना चाहिए। विश्वसनीय स्रोतों को तलाशना और नए-नए सम्बन्धों को बनाना पड़ता है।

मीडिया प्रोफेशनल की सामाजिक जवाबदेही से कहीं अधिक व्यक्तिगत जवाबदेही होती है। उसे अपने प्रति बेहद सजगता और सावधानी बरतनी पड़ती है। नज़र को तेज करना पड़ता है। लिखे और बोले में मास्टरी तो परम आवश्यक है। इसके लिए खूब पढ़ना और लिखना होता है। पढ़े-सुने हुए विषय पर अपने तरीके से विचार करना होता है। तब जाकर बात बनती है। तभी हम मीडिया प्रोफेशनल बन पाते हैं। आजकल अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान अत्यंत आवश्यक हो गया है। अनुवाद करना आना चाहिए। अंग्रेज़ी से हिंदी या फिर हिंदी से अंग्रेज़ी।

आइए, कक्षा शुरू कीजिए। मीडिया प्रोफेशनल ही नहीं हिंदी भाषा के क्षेत्र में रोजगार/अवसर की जितनी संभावनाएं हैं; उन सबके लिए खुद को योग्य बनाइए। आपके अध्यापक का काम कक्षा के बाहर ख़त्म हो जाता है जबकि आपका शुरू होता है।

अपना और अपने समय का ख़्याल रखिए। आज आपके पास बहुत कुछ नहीं है, कल आप चाहें तो सबकुछ हो सकता है।

- डाॅ. राजीव रंजन प्रसाद
कोर्डिनेटर (i/c), प्रयोजनमूलक हिंदी
हिंदी विभाग, राजीव गाँधी विश्वविद्यालय
वाराणसी-791 112
rrprgu@gmail.com

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