एम.ए। परास्नातक। इस स्तर की परीक्षा का कठिन होना स्वाभाविक है। सवाल है, हम कठिनाई से निपटना चाहते हैं; पर प्रयास में पीछे रहते हैं। एम.ए. के विद्यार्थी होने के बाद भी यदि हमें अपने विषय का सामान्य ज्ञान नहीं है, तो कमी किसकी है। अध्यापक भी अपनी मनमर्जी का पढ़ाएगा और आप सबकुछ लिखकर अपनी ओर से मुक्ति पा लेंगे। यदि ऐसा ही सोचना है, तो आपकी मर्जी सर्वोपरि है। यदि नहीं, तो जमकर मेहनत कीजिए। नोट्स बनाइए। उसे बराबर दुहराइए। चीजों को रटने की बजाए समझिए। अध्यापक यदि आपको पुस्तक लिखाता रहे, तो आपके अध्यापक और पुस्तक में अंतर क्या है। चलिए, एक नई शुरुआत कीजिए। 05 नवम्बर, 2017 को आयोजित हो रही नेट/जेआरएफ परीक्षा के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ।
: राजीव रंजन प्रसाद
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