https://educationmirror.org/2017/01/22/matra-ki-galti-kaise-sudharen-10-tips/by Virjesh Singh |
हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें किसी अक्षर या वर्ण के चारों तरफ मात्राएं लगती है। किसी वर्ण के ऊपर लगने वाली मात्रा को बच्चे'उपली मात्रा' कहते हैं। वहीं किसी वर्ण के नीचे लगने वाली मात्रा को बच्चे 'निचली मात्रा' कहते हैं।
इसी तरीके से किसी वर्ण के पहले लगने वाली मात्रा को 'छोटी मात्रा' और पीछे लगने वाली मात्रा को 'बड़ी मात्रा' कहते हैं, जिसे आवाज़ों के अंतर द्वारा स्पष्ट करके बच्चों को पढ़ना सिखाया जाता है। इसी तरीके से कुछ मात्राएं वर्णों के बीच में भी लगती हैं। जैसे क्रिया, रूपक इत्यादि।
अगर हम बच्चों से बात करें तो पहली-दूसरी कक्षा के बच्चे और उनको पढ़ाने वाले शिक्षक बच्चों के बारे में बताते हैं कि किस बच्चे को कैसी मात्राएं पढ़ने में दिक्कत हो रही है। बच्चे पढ़ते-पढ़ते बहुत सी मात्राएं सीख लेते हैं, जो शिक्षक ने नहीं सिखाई होती हैं। जैसे रूकना या रूपया जैसे शब्द में उ की मात्रा को बच्चे आसानी से पढ़ पाते हैं।
अगर हम सामान्य तौर पर हिंदी लिखते समय होने वाली गलतियों की बात करें तो अमूमन हम अपने लिखे तो दोबारा नहीं पढ़ते। इस कारण से होने वाली गलतियां हमारी आदत का हिस्सा बन जाती हैं। इस कारण से हम उनको देखकर भी अनदेखा कर जाते हैं। इससे बचने के लिए इन दस बातों का ध्यान रख सकते हैं
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