Tuesday 21 June 2016

हम आपको ‘नेट’ परीक्षा पास नहीं करा सकते, अधिकतम प्रयास जरूर कर सकते हैं : राजीव रंजन प्रसाद


आपका टीचर भगवान नहीं, लेकिन आपको सही रास्ते पर, आजीविका के स्थायी ठौर पर वही ला सकता है। आप अपने शिक्षक में अपनी धड़कनों को सुन सकते हैं; यदि आप नहीं सुन पा रहे हैं तो वह शिक्षक किसी और का  शिक्षक हो सकता है, आपका हरगिज़ नहीं!


------------------------- 
राजीव रंजन प्रसाद
-------

आइए जानें, क्या है नेट/जेआरएफ

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालयों में अध्यापक/शिक्षक/लेक्चरर/रीडर/प्रोफेसर बनने का सुनहला मौका देता है। हमारे उत्तर-पूर्व के विद्यार्थियों के लिए भी यह विशेष मौका है जिसे वह अपनी प्रतिभा/योग्यता दिखाने के लिए सहज ही अपने प्रयोग में ला सकते हैं। वे सभी लोग जो यह सोचते हैं कि पढ़ी-लिखी दुनिया में ही शांति-खुशहाली, अमन-चैन, नाम-रूतबा, यश और सम्मान-प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकता है उन्हें यूजीसी द्वारा साल भर में दो बार आयोजित होने वाले राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा(NET) अवश्य देनी चाहिए। इस परीक्षा का आयोजन सीबीएसई के माध्यम से कराया जा रहा है। पहला परीक्षा जून के आखिरी सप्ताह में(अंतिम रविवार) तथा दूसरी परीक्षा दिसम्बर महीने के आखिरी सप्ताह(अंतिम रविवार) को कराया जाता है। दिनांक, दिन में फेर-फार हो सकता है। इसलिए इसे स्थायी मान लेना ग़लत है।

आज हम इस बारे में थोड़ी जानकारी आपके लिए लाए हैं। जानकारी के साथ इस ‘नेट/जेआरएफ’ की तैयारी को लेकर किए जाने वाले अभ्यास एवं प्रयास के बारे में विशेषज्ञ की राय भी प्रस्तुत है :  
........................................

अर्हता : 55 प्रतिशंत अंक के साथ सम्बन्धित/सन्दर्भित विषय में परास्नातक/मास्टर्स यानी सिर्फ एम.ए. परीक्षा उत्तीर्ण होना होगा। जो विद्यार्थी अपने एम.ए. के दूसरे वर्ष यानी तीसरे सत्र में हैं, वे भी इस परीक्षा को देने के लिए अर्ह हैं और वे परीक्षा में बिल्कुल बैठ सकते हैं।

उम्र-सीमा : राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानी ‘नेट’ में बैठने के लिए उच्चतम सीमा निर्धारित नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त अर्हता रखता है, इस परीक्षा में बैठ सकता है।

कनिष्ठ शोध-अध्येता : यह शोध-प्रणाली को गुणवत्तापूर्ण एवं समुन्नत बनाने के लिए है। इसके अन्तर्गत शोध हेतु संभावित योग्य विद्यार्थियों को एक तरह से आर्थिक अनुदान दिया जाता है जिसे शोध-अध्येतावृत्ति कहते हैं। यह उन्हीं विद्यार्थियों को दिया जाता है जो नेट परीक्षा में उत्तीर्णांक से अधिक किन्तु एक निर्धारित अंक-सीमा का अंकीय-मान प्राप्त कर लेते हैं। इसका निर्धारण कट-आॅफ से होता है। यदि कोई विद्यार्थी यह कट-आॅफ प्राप्त कर लेता है, तो विश्वविद्यालय अनुदान उसे कनिष्ठ शोध-अध्येता होने का प्रमाण-पत्र जारी करती है।

कनिष्ठ अध्येता का चयन एवं अध्येतावृत्ति : इसका चयन राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा(NET) के माध्यम से ही किया जाता है। कनिष्ठ शोध-अध्येताओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अगले पाँच सालों के लिए शोध-अध्येतावृत्ति देने का आश्वासन देती है। यदि कोई कनिष्ठ शोध-अध्येता पहले से शोध-कार्य में पंजीकृत हो, तो उसे उसी तारीख से जिस दिन नेट-परिणाम की घोषणा हुई थी; से शोध-अध्येतावृत्ति मिलनी शुरू हो जाती है।

अध्येतावृत्ति की राशि : 1) शुरुआत के दो वर्षों तक 25, 000 रुपए मासिक तथा इसके साथ अलग से एच.आर.ए. नियमानुसार दिया जाता है। एच.आर.ए. किराए का मकान लेकर रहने वाले विद्यार्थियों को ही प्राप्त होता है। इसके अतिरक्त पूरे वर्ष के लिए 10, 000 रुपए की राशि ‘आनुषंगिक’ तौर पर मिलता है जिसे ‘कन्टीजेसी’ कहा जाता है। 2) आंतरिक मूल्यांकन एवं संस्तुति के माध्यम से शोध-अध्येता को दो वर्ष के बाद वरिष्ठ शोध-अध्येतावृत्ति प्राप्त होती है। इस दौरान उसे 28,000 रुपए मासिक तथा एच.आर.ए. पूर्व नियमानुसार प्राप्त होता है। आनुषंगिक बिल शेष तीन वर्षों के लिए सलाना 20, 500 रुपए प्राप्त होते हैं। विज्ञान/तकनीक/कंप्यूटर से जुड़े अनुशासनों को सामाजिक एवं मानविकी विषयों की अपेक्षा कुछ अधिक अध्येतावृत्ति दी जाती है।

जेआरएफ हेतु उम्र-सीमा : सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम उम्र-सीमा 28 वर्ष निर्धारित है। जबकि पिछड़ी जातियों/अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए नियमानुसार न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष की छूट प्राप्त है।

आरक्षण : सामान्य वर्ग को छोड़कर सभी वर्ग के लिए परीक्षा-फीस से लेकर परीक्षा-परिणाम तक में विशेष छूट प्राप्त है। यह कोई कृपा अथवा अनुकम्पा नहीं उनका हक है जिसे सांविधानिक रूप से इस समय उन्हें प्राप्त है। यह आरक्षण जातीयता का सूचक नहीं। आर्थिक पिछड़ेपन और सामाजिक दुराव से उपजे विषमता/खाई को पाटने के लिए उन्हें दिया गया है। यदि पूरी तैयारी, तत्परता, लगन और श्रमबल के साथ आप इस परीक्षा को नहीं देते हैं, तो आपसे अधिक आलोचना ‘आरक्षण-प्रणाली’ की की जाती है। आरक्षण को ख़त्म करने के लिए राजनीतिक प्रयास शुरू हैं जबकि देश की एक बड़ी आबादी आरक्षण के लाभ क्या नाम तक से परिचित नहीं है।आपको लोकतांत्रिक भागीदारी की दिशा में आगे आने के लिए आरक्षण का उचित लाभ लेना अत्यावश्यक है।

प्रश्न-पत्र प्रारूप :

1) प्रथम प्रश्न-पत्र : यह 100 पूर्णांक का बहुवैकल्पिक प्रश्न-पत्र होगा जिसमें 60 प्रश्न दिए गये होंगे जिनमें से कुल 50 प्रश्नों का जवाब देना होता है। प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होता है। ग़लत जवाब होने की स्थिति में उनका नंबर नहीं काटा जाता है। यानी ‘No Negative Marks’। यह पत्र नेट परीक्षा में बैठने वाले सभी विद्यार्थियों को एकसमान देना होता है। लेकिन प्रश्न-पत्र के क्रम उलट-पुलट दिया जाता है। इसलिए यह सावधानी आवश्यक है कि आप अपने आगे या पीछे से जवाब का मिलान हरग़िज न करें, क्योंकि उनको दिया गया प्रश्न-पत्र आपके प्रश्न-पत्र से सर्वथा भिन्न होगा। 

2) द्वितीय प्रश्न-पत्र : यह 100 पूर्णांक का होता है। इसमें बहुवैकल्पिक 50 प्रश्न होते हैं जिनमें से प्रत्येक 2 अंक का होता है। इसके लिए निर्धारित अवधि डेढ़ घंटे है और किसी प्रकार के ‘No Negative Marks’ माक्र्स नहीं होते हैं। यानी ग़लत जवाब होने की स्थिति में आपका अंक नहीं काटा जाता है। यह हमारे मुख्य विषय से सम्बन्धित होता है। इस विषय के प्रश्न अपने स्वरूप में जटिल तथा विशेष स्मृति-बोध एवं ज्ञानात्मक चेतना की माँग करते हैं।

3) तृतीय प्रश्नपत्र  :150 पूर्णांक का होता है और इसमें कुल 75 बहुवैकल्पिक प्रश्न होते हैं। इनमें से प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होता है और किसी प्रकार के ‘No Negative Marks’ माक्र्स नहीं होते हैं। यानी ग़लत जवाब होने की स्थिति में आपका अंक नहीं काटा जाता है। इस प्रश्न-पत्र को ढाई घंटे की समयसीमा में हल करना होता है। यह परीक्षा का मुख्य अंग है। इसमें अपने परास्नातक(एम.ए. डिग्री) के मुख्य विषय/अनुशासन से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं। ये प्रश्न अपनी प्रकृति में गहन समझ, विचार-दृष्टि तथा विषय-बोध की माँग करते हैं। 

अकादमिक विशेषज्ञ प्रो. ऋषभदेव शर्मा के अनुसार इसकी तैयारी के लिए परीक्षार्थी का अतिसजग एवं संवेदनशील होना जरूरी है। उनके महत्त्वपूर्ण सुझाव हैं :

1) 3-4 महीने पहले से तैयारी करें।
2) तृतीय सत्र से ही तैयारी में जुट जाए।
3) नेट के निर्धारित पाठ्यक्रम को परीक्षक की दृष्टि से पढ़ें।
4) पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्र/अभ्यास मालाएँ/ टेस्ट्स अधिकाधिक, नियमित और शांतचित्त तरीके से एकाग्र होकर करें।
5) रटने/निगलने की अपेक्षा अवधारणाओं/संकल्पनाओं को समझें।
6) पाठ्यक्रम को बहुविकल्पी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के निर्माण की संभावना से देखें और उसी प्रकार पढ़े।
7) सतत् अभ्यास द्वारा उत्तर देने की अपनी गति सुधारते रहे।
8) दुहराए, दोबारा पढ़े, बार-बार पढ़े और पढ़ते ही रहें।
9) मुख्य बिन्दु नोट करें या उसे अंडरलाइन कर दें।
10) सरलता से दोहराने का मानसिक अभ्यास करें। बोझ उठाने की तरह उस पर कतई टूट न पड़े।
11) तथ्यों को अलग-अलग छाँटें, वर्गीकृत करें और उसे लिखें।
12) विषय-विशेषज्ञों अथवा अपने अध्यापकों से उचित मार्गदर्शन प्राप्त करें। इस सम्बन्ध में विनम्र रवैया अपनाएँ।
13) अपने यादास्त पर विश्वास करें और इसके लिए अपनी एकाग्रता को बढ़ाएँ।
14) थकने पर सिर्फ 3 मिनट का अंतराल/विश्राम लें।
15) तथ्यों के अन्तर्सम्बन्ध पहचानकर काल्पनिक चित्र/कथा बनाने अथवा गढ़ने की चेष्टा करें।
16) श्रेणीबद्ध और अंतःसोपानिक तरीके से विषय को तैयार करें। विषय से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्यों को हाईलाइट करें या उसे मार्कर द्वारा चिह्नित करें।
17) आत्मनिरीक्षण करके अपनी कमियों को सुधारें, बेहतर कोशिश करते रहने की आदत डालें।
18) प्रतिदिन कम से कम छह घंटे स्वाध्याय करें।
19) निरंतरता बनाए रखें।
20) सकारात्मक रूख अपनाएँ, अपने प्रति आलोचना की ही नहीं प्रशंसा का भाव भी रखें।


No comments:

Post a Comment